कुछ नया सा करेगे हम इस साल से,
गीत कविता ग़ज़ल तो बहुत लिख दिए
कुछ नया सा रचेगे हम इस साल से,
डूबा था सूरज रात जीवन की अब तक
उग रहा देखो, हुई भौर इस साल से
दर्द पीडाओ की काली राते कटी
सूर्य शाश्वत रहेगे अब इस साल से,
बाढ़ सूखा बीहड़ो के दिन लद गए
नए गुलशन खिलेगे इस साल से,
प्यार गेदा और तुलसी के पोधो सा था
बरगद पीपल उगेगे अब इस साल से,
ख्वाबो में दूर दूर बहुत उड़ लिए
संग संग ही चलेगे इस साल से
घर मकानों मे अब तक बहुत रह लिए
उनके दिल मे रहेगे हम इस साल से,
ख्वाबो में दूर दूर बहुत उड़ लिए
ReplyDeleteसंग संग ही चलेगे इस साल से
क्या बात है दिव्या. बहुत सुन्दर तरीके से नये साल का स्वागत किया है. आपकी इन तमाम अभिलाषाओं में हम भी आपके साथ हैं.
ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है.
पुन:-
टिप्पणी में से शब्द-पुष्टिकरण हटा लोगी तो टिप्पणीकर्ताओं को आसानी होगी, यदि आप चाहें तो.
स्वागत के लिए हार्दिक आभार ...
ReplyDeleteआपके साथ के लिए भी .... जो मेरे साथ हमेशा है और रहेगा..
वाह !
ReplyDeleteप्यार गेदा और तुलसी के पोधो सा था
बरगद पीपल उगेगे अब इस साल से...
और दोस्ती के बारे मे क्या ख्याल है ?
मेरी दोस्ती तो हमेशा से नीम जेसी रही है ...
ReplyDeleteकई लोग मुझे "रिफ्लेक्टर" भी कहते थे / है..
कुछ बदलाव चाहिए हो तो बताय...???
ख्वाबो में दूर दूर बहुत उड़ लिए
ReplyDeleteसंग संग ही चलेगे इस साल से
घर मकानों मे अब तक बहुत रह लिए
उनके दिल मे रहेगे हम इस साल से,
..
बहुत अच्छी कविता के लिए साधुवाद ...शुभकामनायें ..
बहुत बहुत धन्यबाद ....
ReplyDeleteसच्ची शुभकामनाये शुभ प्रेरणा देती है..
आपको भी पुरुस्कार के लिए साधुवाद...
और असीम..असीम..शुभकामनाये ....
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ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लगा आप की ग़ज़ल पढ़कर.नए साल से बहुत उम्मीद है हम सबको.शुभ कामनाएं
ReplyDeleteनया साल लो आ गया,गया पुराना साल.
ReplyDeleteखुशियों से कर जाये ये,तुमको मालामाल.
bat jab dil se kahi jay to mahkegi jarur naye es varsh mai tu nam kamayegi jarur chhoti bahin ko bahut bahut badhae or aashirwad
ReplyDeleteआदरणीय कुँवर कुसुमेश जी, अरुण जी एवं sagebob जी
ReplyDeleteआप सभी को हार्दिक आभार एवं शुभ कामनाएं...
नया साल आप सबकी उम्मीदे पूरी करे ...पुनः शुभ-कामनाएं....
वाह ......
ReplyDeleteमहफिले पालो में सिमटेगी , बिखर जाएगी
पर तेरे नाम से जुड़कर यें सवंर जाएगी ....
दर्द पीडाओ की काली राते कटी
ReplyDeleteसूर्य शाश्वत रहेगे अब इस साल से,
वाह ...बहुत ही अच्छी रचना ।
घर मकानों मे अब तक बहुत रह लिए
ReplyDeleteउनके दिल मे रहेगे हम इस साल से,
रब से गुजारिश है कि आप उनके दिल में सातो जनम रची-बसी रहें । बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।