Friday, January 14, 2011

इस साल से

साल नए नए तो बहुत आये गए 
कुछ नया सा करेगे हम इस साल से,

गीत कविता ग़ज़ल तो बहुत लिख दिए
कुछ नया सा रचेगे  हम इस साल से,

डूबा था सूरज रात जीवन की अब तक 
उग रहा देखो, हुई भौर  इस साल से

दर्द पीडाओ की काली राते कटी 
सूर्य शाश्वत रहेगे अब  इस साल से,

बाढ़ सूखा बीहड़ो के दिन लद गए
नए गुलशन खिलेगे इस साल से,

प्यार गेदा और तुलसी के पोधो सा था 
बरगद पीपल उगेगे अब इस साल से,

ख्वाबो में दूर दूर बहुत उड़ लिए 
संग संग ही चलेगे इस साल से

घर मकानों मे अब तक बहुत रह लिए 
उनके दिल मे रहेगे हम इस साल से,

14 comments:

  1. ख्वाबो में दूर दूर बहुत उड़ लिए
    संग संग ही चलेगे इस साल से
    क्या बात है दिव्या. बहुत सुन्दर तरीके से नये साल का स्वागत किया है. आपकी इन तमाम अभिलाषाओं में हम भी आपके साथ हैं.
    ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है.
    पुन:-
    टिप्पणी में से शब्द-पुष्टिकरण हटा लोगी तो टिप्पणीकर्ताओं को आसानी होगी, यदि आप चाहें तो.

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  2. स्वागत के लिए हार्दिक आभार ...
    आपके साथ के लिए भी .... जो मेरे साथ हमेशा है और रहेगा..

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  3. वाह !

    प्यार गेदा और तुलसी के पोधो सा था
    बरगद पीपल उगेगे अब इस साल से...

    और दोस्ती के बारे मे क्या ख्याल है ?

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  4. मेरी दोस्ती तो हमेशा से नीम जेसी रही है ...
    कई लोग मुझे "रिफ्लेक्टर" भी कहते थे / है..

    कुछ बदलाव चाहिए हो तो बताय...???

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  5. ख्वाबो में दूर दूर बहुत उड़ लिए
    संग संग ही चलेगे इस साल से

    घर मकानों मे अब तक बहुत रह लिए
    उनके दिल मे रहेगे हम इस साल से,
    ..
    बहुत अच्छी कविता के लिए साधुवाद ...शुभकामनायें ..

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  6. बहुत बहुत धन्यबाद ....
    सच्ची शुभकामनाये शुभ प्रेरणा देती है..

    आपको भी पुरुस्कार के लिए साधुवाद...
    और असीम..असीम..शुभकामनाये ....

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  8. बहुत ही अच्छा लगा आप की ग़ज़ल पढ़कर.नए साल से बहुत उम्मीद है हम सबको.शुभ कामनाएं

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  9. नया साल लो आ गया,गया पुराना साल.
    खुशियों से कर जाये ये,तुमको मालामाल.

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  10. bat jab dil se kahi jay to mahkegi jarur naye es varsh mai tu nam kamayegi jarur chhoti bahin ko bahut bahut badhae or aashirwad

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  11. आदरणीय कुँवर कुसुमेश जी, अरुण जी एवं sagebob जी
    आप सभी को हार्दिक आभार एवं शुभ कामनाएं...

    नया साल आप सबकी उम्मीदे पूरी करे ...पुनः शुभ-कामनाएं....

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  12. वाह ......
    महफिले पालो में सिमटेगी , बिखर जाएगी
    पर तेरे नाम से जुड़कर यें सवंर जाएगी ....

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  13. दर्द पीडाओ की काली राते कटी
    सूर्य शाश्वत रहेगे अब इस साल से,

    वाह ...बहुत ही अच्‍छी रचना ।

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  14. घर मकानों मे अब तक बहुत रह लिए
    उनके दिल मे रहेगे हम इस साल से,

    रब से गुजारिश है कि आप उनके दिल में सातो जनम रची-बसी रहें । बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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